ऊँ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
’’समिधा‘‘ संघ कार्यालय, ई-2/187, महावीर नगर, भोपाल-462016
दूरभाष-07ःः7241004, फैक्स-07ःः-2421055, अणुडाक-ोेनकंतेींद2009/तमकपििउंपसण्बवउ
कुप्. सी. सुदर्षन
तिथि: कार्तिक कृष्ण 2 ईसवी दिनांक 06.10.2009
कलियुग-5111 पटना, बिहार
आज पटना पहुंचते ही यह अति दुःखद समाचार मिला कि हमारे वरिष्ठ प्रचारक श्री प्यारेलाल जी खण्डेलवाल हम सबको छोड़कर परमधाम सिधार गये। सन् 1948 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगे प्रथम प्रतिबंध के समय संघ कार्य पर आए संकट को दूर करने और आगे उसकी अभिवृद्धि के लिए जिन प्रचारकों ने अपना जीवन लगाने का संकल्प किया उनमें श्री प्यारेलाल जी भी एक थे। इंदौर नगर के प्रचारक के रुप में कार्यारम्भ कर उन्होंने जिला, विभाग ऐसे अनेक दायित्व सम्हाले और सन् 1964 में जनसंघ की मध्यप्रदेष इकाई में उनकी योग्यता हुई। तब से कुछ वर्षों पूर्व तक उन्होंने राजनैतिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं समर्पित की।
पहल जनसंघ और बाद में आपातकाल के पश्चात् भारतीय जनता पार्टी में न एक कर्मठ, निरलस, अकुतोभय एवं कुषल संगठन के रुप में विख्यात रहे। आज की मूल्यविहीन राजनीति में जिन कुछ लोगों ने आचरण का आदर्ष प्रस्तुत किया उनमें श्री प्यारेलाल जी भी एक रहे। मूल्यों से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। सन् 1989 मे लोकसभा सदस्य के रुप में निर्वाचित होकर ढ़ाई वर्ष तक लोकसभा में तथा सन् 1998 से लेकर जब तक राज्यसभा में उन्होंने अपना अमूल्य योगदान दिया।
गत तीन वर्षों से वे बीमार चल रहे थे। बीच में अ.भा.आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती रहे तथा हम लोगों में से अनेक उनसे मिलने भी गये थे। अपनी प्रवास इच्छा-षक्ति के बल पर वे रोगों से जूझते रहे। शारीरिक दुर्बलता के बाद भी उन्हें कार्य की सतत चिन्ता रहा करती थी, यहां तक कि अस्वस्थ होते हुये भी 29 जुलाई 2009 केा दिल्ली में स्वयंसेवक सांसदों के श्री गुरुदक्षिणा उत्सव के कार्यक्रम में वे सम्मिलित हुये। इतने वर्षों के उनके सार्वजनिक जीवन में समाज का जो बहुत बड़ा वर्ग जो उनके सम्पर्क में आया था उन सबका शोक संतप्त होना स्वाभाविक है। पर नियति के आगे किसी का बस नहीं चलता और वे हम सबको छोड़ गये।
दिनांक 07 अक्टूबर से राजगीर में प्रारंभ हो रही अ.भा.कार्यकारी मंडल की बैठक के पूर्व संघ के केन्द्रीय पदाधिकारियों की यह बैठक श्री प्यारेलालजी के बड़े भाई श्री गुलाबचन्द खण्डेलवाल, उनके परिवारजनों तथा स्नेहीजनों एवं सहयोगियों के शोक में सहभागी होतु हुये स्व. श्री प्यारेलालजी को अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करती हैं।
ऊँ पूर्णमदःपूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावषिष्यते।
ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः
अपठित हस्ताक्षर सहित केन्द्रीय पदाधिकारियों की सूची -
सरसंघचालक - पू. श्री मोहनराव भागवत
सरकार्यवाह - मा. श्री भैयाजी जोषी
सह सरकार्यवाह - मा. सुरेषजी सोनी
सह सरकार्यवाह - मा. दत्तात्रय होसबाले
अ.भा. बौद्धिक प्रमुख - मा. भागय्या जी
अ.भा. शारीरिक प्रमुख - मा. कण्णन जी
अ.भा. प्रचार प्रमुख - मा. मनमोहनजी
अ.भा. सह सेवा प्रमुख - मा. सुहास हिरेमठ
अ.भा. प्रचारक प्रमुख - मा. मदनदासजी
अ.भा. सह प्रचारक प्रमुख - मा. श्रीकृष्णजी मोतलग
अ.भा. कार्यकारिणी सदस्य - मा. इंदे्रषजी
निवृत्त सरसंघचालक - मा. सुदर्षनजी
अ.भा. कार्यकारिणी सदस्य - मा. मधुभाई कुलकर्णी
शुक्रवार, 9 अक्टूबर 2009
गोवंश के बिना विश्व मंगल की कामना नहीं
गोवंश के बिना विश्व मंगल की कामना नहीं
नादौन 8 october : विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के नादौन स्थित श्रीराम लीला मैदान में वीरवार सुबह नौ बजे पहुंचते ही पंडाल वंदे गो मातरम् के जयघोष से गूंज उठा।समारोह में भारत माता मंदिर हरिद्वार से यात्रा के साथ आए अखिलेश्वरानंद महाराज ने जनसमूह को संबोधित करते कहा कि जो देश आदिकाल से ही गोमाता का पुजारी था। वहां आज गोवंश की निर्मम हत्या की जा रही है जिसके लिए देश के कर्णधार शासकों की नीतियां जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों को न तो गोमाता की महिमा का पता है और न ही परलोक का ज्ञान है। उन्होंने कहा कि जब हमारे बुजुर्ग बूढ़े हो जाते हैं तो क्या हम उनके प्रति श्रद्धा का भाव नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण गोवंश देश के विकास में काम आता है और इसके बिना भारत तो क्या विश्व के मंगल की कामना करना भी मुश्किल है।
उन्होंने गाय माता के प्रति वचनबद्धता के संकल्प से लोगों को प्रतिज्ञा भी दिलवाई। सभी लोगों से गाय को माता मानकर उसे सम्मान देने का आह्वान किया गया। समारोह यात्रा के प्रदेशाध्यक्ष महंत सूर्यनाथ ने कहा कि माता नाम ही ऐसा है जिसमें करुणा बसी है। सूर्यनाथ ने कहा कि जब-जब भी गोवंश का सम्मान हुआ भारत सोने की चिड़िया कहलाया।
इस अवसर पर दंगड़ी मठ के संत श्रीमद भक्ति प्रसाद विष्णु महाराज भी उपस्थित थे। समारोह में गोशाला भड़ाली भगोर के संस्थापक सुखदेव शास्त्री तथा भदरूं गोशाला के संयोजक पाधा मंशा राम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्रीनिवास मूर्ति, कैलाश, वेद प्रकाश, विवेक, सोहन सिंह, विजय अग्निहोत्री, राजकुमार शर्मा, किशोर शर्मा, सुभाष, अजय सौंधी, जसवीर सिंह, दिनेश, प्रमोद कपिल, त्रिभुवन सिंह आदि उपस्थित थे।
गाय में समाहित हैं सभी शास्त्र – स्वामी अखिलेश्वरानंद
पठाणकोट, अक्तूबर ७ – गाय भारतीय समाज – जीवन के सभी पहलुओं को स्पर्श और प्रभावित करती है । गाय में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, चिकित्साशास्त्र का समावेश है । यह कहना है स्वामी अखिलेश्वरानंद का । स्वामी जी विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के स्वागत के लिए पठाणकोट में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे ।
स्वामी जी ने कहा कि गाय अपने आप में एक संपूर्ण विज्ञान है । गोमूत्र सभी रोगों की रामबाण औषधि है । यह संपूर्ण शरीर का शोधन करके रोगों का नाश करता है । उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों में गोविज्ञान की बात कही गयी है । गाय का दूध, मूत्र, गोबर आर्थिक विकास में उपयोगी है और वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरे उतरे हैं । उन्होंने कहा कि गाय को अपने जीवन से दूर करन के कारण ही पंजाब की समृद्धि में कमी आयी है ।
इससे पहले कठुआ में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के सुरेश धवन ने गाय की उपयोगिता और पंचगव्य को लेकर हुए आधुनिक शोधों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि बाजार में उपलब्ध घी बनाने की प्रक्रिया दोषपूर्ण है । बाजारु घी स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है । जबकि ठीक प्रकार से बनाया गया गाय का घी हृदयरोगियों के लिए भि लाभदायक है ।
यात्रा को जम्मू से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने पर नूरपुर में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया । कांगडा में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए ज्वाला देवी मंदिर के स्वामी सूर्यनाथ ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पं. जवाहर लाल नेहरु और उनके समर्थकों के कारण गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव संसद में पारित नही हो सका । उन्होंने गोशालाओं में सुधार करने की भी बात कही ।
गोकर्णा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य राघवेश्वर भारती ने आंकडो का हवाला देते हुए कहा कि १९४७ में एक हजार भारतीयों पर ४३० गोवंश उपलब्ध थे । २००१ में यह आंकडा घटकर ११० हो गयी । और २०११ में यह आंकडा घटकर २० गोवंश प्रति एक हजार व्यक्ति हो जाने का अनुमान है ।
उन्होंने कहा कि गोमाता की रक्षा करके ही भारतमाता और प्रकृति माता की रक्षा की जा सकती है ।
फिल्म अभिनेता सुरेश ओबेराय ने अपना व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहा कि गोदुग्ध के सेवन से उनके पूरे परिवार में प्यार का माहौल बन गया है । उन्होंने कहा कि गोवंश के महत्व को तार्किक रूप से समझने की आवश्यकता है ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा अब मैदानी हिस्से छोडकर पहाडी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुकी है । लेकिन यात्रा के स्वागत कार्यक्रमों और जनसमुदाय की भागीदारी में कोई कमी नहीं आयी है
नादौन 8 october : विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के नादौन स्थित श्रीराम लीला मैदान में वीरवार सुबह नौ बजे पहुंचते ही पंडाल वंदे गो मातरम् के जयघोष से गूंज उठा।समारोह में भारत माता मंदिर हरिद्वार से यात्रा के साथ आए अखिलेश्वरानंद महाराज ने जनसमूह को संबोधित करते कहा कि जो देश आदिकाल से ही गोमाता का पुजारी था। वहां आज गोवंश की निर्मम हत्या की जा रही है जिसके लिए देश के कर्णधार शासकों की नीतियां जिम्मेवार हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों को न तो गोमाता की महिमा का पता है और न ही परलोक का ज्ञान है। उन्होंने कहा कि जब हमारे बुजुर्ग बूढ़े हो जाते हैं तो क्या हम उनके प्रति श्रद्धा का भाव नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि संपूर्ण गोवंश देश के विकास में काम आता है और इसके बिना भारत तो क्या विश्व के मंगल की कामना करना भी मुश्किल है।
उन्होंने गाय माता के प्रति वचनबद्धता के संकल्प से लोगों को प्रतिज्ञा भी दिलवाई। सभी लोगों से गाय को माता मानकर उसे सम्मान देने का आह्वान किया गया। समारोह यात्रा के प्रदेशाध्यक्ष महंत सूर्यनाथ ने कहा कि माता नाम ही ऐसा है जिसमें करुणा बसी है। सूर्यनाथ ने कहा कि जब-जब भी गोवंश का सम्मान हुआ भारत सोने की चिड़िया कहलाया।
इस अवसर पर दंगड़ी मठ के संत श्रीमद भक्ति प्रसाद विष्णु महाराज भी उपस्थित थे। समारोह में गोशाला भड़ाली भगोर के संस्थापक सुखदेव शास्त्री तथा भदरूं गोशाला के संयोजक पाधा मंशा राम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर श्रीनिवास मूर्ति, कैलाश, वेद प्रकाश, विवेक, सोहन सिंह, विजय अग्निहोत्री, राजकुमार शर्मा, किशोर शर्मा, सुभाष, अजय सौंधी, जसवीर सिंह, दिनेश, प्रमोद कपिल, त्रिभुवन सिंह आदि उपस्थित थे।
गाय में समाहित हैं सभी शास्त्र – स्वामी अखिलेश्वरानंद
पठाणकोट, अक्तूबर ७ – गाय भारतीय समाज – जीवन के सभी पहलुओं को स्पर्श और प्रभावित करती है । गाय में अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, चिकित्साशास्त्र का समावेश है । यह कहना है स्वामी अखिलेश्वरानंद का । स्वामी जी विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा के स्वागत के लिए पठाणकोट में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे ।
स्वामी जी ने कहा कि गाय अपने आप में एक संपूर्ण विज्ञान है । गोमूत्र सभी रोगों की रामबाण औषधि है । यह संपूर्ण शरीर का शोधन करके रोगों का नाश करता है । उन्होंने कहा कि भारतीय शास्त्रों में गोविज्ञान की बात कही गयी है । गाय का दूध, मूत्र, गोबर आर्थिक विकास में उपयोगी है और वैज्ञानिक कसौटी पर भी खरे उतरे हैं । उन्होंने कहा कि गाय को अपने जीवन से दूर करन के कारण ही पंजाब की समृद्धि में कमी आयी है ।
इससे पहले कठुआ में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के सुरेश धवन ने गाय की उपयोगिता और पंचगव्य को लेकर हुए आधुनिक शोधों के बारे में जानकारी दी । उन्होंने कहा कि बाजार में उपलब्ध घी बनाने की प्रक्रिया दोषपूर्ण है । बाजारु घी स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है । जबकि ठीक प्रकार से बनाया गया गाय का घी हृदयरोगियों के लिए भि लाभदायक है ।
यात्रा को जम्मू से हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने पर नूरपुर में यात्रा का भव्य स्वागत किया गया । कांगडा में आयोजित स्वागत सभा में बोलते हुए ज्वाला देवी मंदिर के स्वामी सूर्यनाथ ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पं. जवाहर लाल नेहरु और उनके समर्थकों के कारण गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव संसद में पारित नही हो सका । उन्होंने गोशालाओं में सुधार करने की भी बात कही ।
गोकर्णा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य राघवेश्वर भारती ने आंकडो का हवाला देते हुए कहा कि १९४७ में एक हजार भारतीयों पर ४३० गोवंश उपलब्ध थे । २००१ में यह आंकडा घटकर ११० हो गयी । और २०११ में यह आंकडा घटकर २० गोवंश प्रति एक हजार व्यक्ति हो जाने का अनुमान है ।
उन्होंने कहा कि गोमाता की रक्षा करके ही भारतमाता और प्रकृति माता की रक्षा की जा सकती है ।
फिल्म अभिनेता सुरेश ओबेराय ने अपना व्यक्तिगत अनुभव बताते हुए कहा कि गोदुग्ध के सेवन से उनके पूरे परिवार में प्यार का माहौल बन गया है । उन्होंने कहा कि गोवंश के महत्व को तार्किक रूप से समझने की आवश्यकता है ।
विश्व मंगल गो ग्राम यात्रा अब मैदानी हिस्से छोडकर पहाडी क्षेत्रों में प्रवेश कर चुकी है । लेकिन यात्रा के स्वागत कार्यक्रमों और जनसमुदाय की भागीदारी में कोई कमी नहीं आयी है
वंदेमातरम कहने से सहमत नहीं
सहारनपुर। दारुल उलूम देवबंद को लेकर जमीयत उलेमा द्वारा आयोजित जलसे में वक्ताओं ने कहा कि इस देश का मुसलमान राष्ट्रगान का सम्मान करता है। खुदा के अलावा किसी और को सजदा इस्लाम में जायज न होने के कारण धार्मिक तौर पर वंदेमातरम कहने से सहमत नहीं हैं। इसलिए देश के लिए तो जान दे सकते हैं परंतु वंदेमातरम नहीं कह सकते।
इस्लामिया इंटर कालेज की मस्जिद में आयोजित जलसे में वक्ताओं ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद का मकसद कुरान व इस्लाम की तालीम देना रहा है। देश की आजादी में इस संस्था का योगदान रहा है। जमीयतुल उलेमा के अध्यक्ष मौलवी जहूर अहमद ने कहा कि जिन लोगों ने दारुल उलूम का पुतला जलाया उनके कार्य से राजद्रोह की बू आ रही है। उनका यह कार्य न केवल असंवैधानिक बल्कि अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने वंदेमातरम का सहारा लेकर समाज को बांटने और सांप्रदायिकता फैलाने का काम किया है। वतन से मोहब्बत नबी का फरमान है इसलिए वे देश से प्यार करते हैं और राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं। जलसे के बाद में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सीओ को ज्ञापन दिया।
इस्लामिया इंटर कालेज की मस्जिद में आयोजित जलसे में वक्ताओं ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद का मकसद कुरान व इस्लाम की तालीम देना रहा है। देश की आजादी में इस संस्था का योगदान रहा है। जमीयतुल उलेमा के अध्यक्ष मौलवी जहूर अहमद ने कहा कि जिन लोगों ने दारुल उलूम का पुतला जलाया उनके कार्य से राजद्रोह की बू आ रही है। उनका यह कार्य न केवल असंवैधानिक बल्कि अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने वंदेमातरम का सहारा लेकर समाज को बांटने और सांप्रदायिकता फैलाने का काम किया है। वतन से मोहब्बत नबी का फरमान है इसलिए वे देश से प्यार करते हैं और राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं। जलसे के बाद में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सीओ को ज्ञापन दिया।
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