
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के सहयोग से मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यिक संवाद का आयेाजन किया जा रहा है। 30-31 अगस्त को आयोजित होने वाले इस संवाद समागम में दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। इस समागम में भारत के अलावा श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस, बंगलादेश, पाकिस्तान, यूएई और सिंगापुर से अनेक साहित्यकार शिरकत करेंगे। इस आयोजन में साहित्यकारों के अलावा चिंतक, विचारक, दार्शनिक और लेखक भी भागीदार होंगे। मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी इस तरह का पहला आयोजन कर रही है।
साहित्य अकादमी के निदेशक प्रो. शुक्ला के अनुसार आज ऐसे साहित्य का सृजन कम हो रहा है जो भारतीय आत्मा को प्रतिबिम्बित करता हो, बजाए इसके साहित्य सृजन में भारतीय चरित्रों की असंगत व्याख्या की जा रही है। साहित्य भाषा के अनुशासन की अवहेलना आम बात हो गई है। साहित्य में इस प्रवृत्ति को रोका जाना, ऐसे साहित्य और साहित्यकारों के बारे में न सिर्फ पाठकों-लेखकों को बल्कि आम लोगों को भी सचेत किया जाना आवश्यक है। बकौल प्रो. शुक्ला इसके लिए सकारात्मक सोच भारतीय दृष्टि रखने वाले लेखकों, विचारकों और समीक्षकों को आगे आना होगा, इस साहित्यिक विमर्श और संवाद के जरिए अकादमी इसी दिशा में प्रयास कर रहा है।
गौरतलब है कि इस अंतरराष्ट्रीय संवाद में वर्तमान साहित्य और सनातन तथ्य, वर्तमान साहित्य और उसका भविष्य, भविष्य का साहित्य, साहित्य का भाषा अनुशासन और साहित्य में बाजारवाद जैसे विषय पर चर्चा की जायेगी।