शनिवार, 23 जनवरी 2010

यह के लिए शुभ भी है और लाभकारी भी

कांग्रेस के महासचिव और राजीव-सोनिया पुत्र राहुल गांधी के मध्यपदेश आगमन और यहां के कुछेक विश्वविद्यालय परिसरों में उनके कार्यक्रमों से बवाल मचा है। यह विवाद भाजपा या अन्य के लिए अनपेक्षित हो सकता है, लेकिन राहुल गांधी के योजनाकारों के लिए यह अपेक्षित और उनकी योजना का परिणाम ही है। भाजपा के नेताओं और भाजपा सरकार के प्रतिनिधियों ने राहुल गांधी की यात्रा के बाद जो बयान, कायवाई या पहल की उसका सीधा या प्रकारान्तर से प्रचारात्मक लाभ राहुल गांधी को ही मिला।
यह पहली बार नहीं हुआ है कोई राजनीतिक व्यक्ति शैक्षणिक परिसर में गया हो। राहुल गांधी के पहले भी मंत्री, विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि और आकादमिक व्यक्ति का रूप धारण कर राजनैतिक लोग शिक्षा परिसरों में जाते रहे हैं। जाना भी चाहिए। अगर 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को मतदान का संवैधानिक अधिकार दिया गया है, काॅलेज और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ के चुनाव हो रहे हैं, वहां विभिन्न स्तरों पद राजनीति शास्त्र का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है तो कोई कारण नहीं कि शैक्षणिक परिसरों को राजनेताओं से अछूत रखा जाए। काॅलेज-विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं का राजनीतिक प्रशिक्षण हो यह देश की राजनीति के लिए शुभ भी है और लाभकारी भी। राजनेताओं का विश्वविद्यालय परिसरों में जाना और विद्याथियों से संवाद करना उपयुक्त भी है और आवश्यक भी। हां! इस दृष्टि से इतना अवश्य होना चाहिए कि इस संवाद हेतु कोइ नीति और पद्धति भी विकसित हो। भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को भी योजनापूर्वक यह प्रयास करना चाहिए कि वे भी छात्र-छात्राओं के बीच अपना विचार, संगठन और नीति लेकर जाएं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने छात्र राजनीति के मामले में एक नजीर पेश की है। वहां से राजनीतिक प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों ने देश की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।
राहुल गांधी के प्रकरण में भाजपा ने प्रतिक्रिया की है। इस प्रतिक्रिया से कांग्रेस और उनके नेताओं का प्रचार ही होगा। इस दिशा में भाजपा नेता, उनके युवा नेतृत्व अगर पिछलग्गू और प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बजाए छात्र और युवा राजनीति के लिए योजनाबद्ध नेतृत्व प्रदान करें तो यह देश और प्रदेश की राजनीति के हित में ही होगा।
मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा के बारे मे आपके पास कुछ जानकारी, कोइ विचार, कोइ आलेख या आंकडे हो तो मुझे भी बताइये. मेरी मदद होगी..
प्रति,


महोदय,
आप विश्व संवाद केन्द्र से परिचित ही हैं। आपको विदित ही है कि केन्द्र मीडिया के क्षेत्र में शोध, जागरुकता, जनसंपर्क और संचार संबंधी कार्यो में गत कई वर्षों से कार्यरत है। विश्व संवाद केन्द्र विभिन्न विषयों पर विशेषांक, स्मारिका, पुस्तिकाएं और पुस्तकों का प्रकाशन भी करता रहा है। आपको स्मरण कराते हुए प्रसन्नता होती है कि विश्व संवाद केन्द्र ने गत 10 वर्षों में संवाद मंथन, साप्ताहिक लेख सेवा के अतिरिक्त - स्वतंत्रता के इक्शवन वर्ष: क्या खोया, क्या पाया, कश्मीर: कबिलाई आक्रमण से करगिल तक, जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन, भाई परमानन्द व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व, उत्सव मेरे प्राण जैसे विशेषांक और पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया है। अभी हाल में ही ‘‘तुष्टीकरण’’ विषय पद विशेषांक का प्रकाशन किया गया है। इसके लेख और अन्य सामग्रियों पर काफी चर्चा हुई।
विश्व संवाद केन्द्र द्वारा पूर्व की ही भांति अपने नए विशेषांक/स्मारिका के प्रकाशन की योजना बनी है। इस बार ‘‘मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा’’ विषय पद विशेषांक का प्रकाशन किया जा रहा है। हमारा प्रयास आपके सहयोग के बिना तो पूरा हो सकता है और न ही प्रभावी। कृपया हमारे इस प्रयास में आप भी मदद करने का कष्ट करें। निम्न विषयों से संबंधित आलेख, जानकारी के साथ आंकड़े और दस्तावेज/अभिलेख आपके पास उपलब्ध हों तो कृपया हमें उपलब्ध कराने का कष्ट करें-
1. आंतरिक सुरक्षा के मायने
2. मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा से संबंधित प्रमुख विषय/मुदृदे
3. प्रदेश के नागरिकों में आंतरिक सुरक्षा बोध
4. आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में व्यक्ति, समाज और सरकार की भूमिका
5. आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार की पहल
6. प्रदेश के लिए आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से प्रमुख खतरे
7. आंतरिक सुरक्षा: मध्यप्रदेश की चुनौतियां
8. मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा
9. घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सलवाद, मतान्मरण और आंतरिक सुरक्षा
10. मध्य्रपेदश का सांस्कृतिक ताना-बाना और आंतरिक सुरक्षा
11. अल्पसंख्यक दृष्टि से मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा
12. चर्च, मदरसे, मिशनरियों और पादरियों की सक्रियता और आंतरिक सुरक्षा
13. आंतरिक सुरक्षा: केन्द्र और प्रदेश
14. आंतरिक सुरक्षा: रीति-नीति, कानून और क्रियान्वयन
15. आंतरिक सुरक्षा में नागरिक संगठनों की भूमिका
16. मध्यप्रदेश में विभिन्न आंदोलन और आंतरिक सुरक्षा
17. देश की सुरक्षा और मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा
18. आंतरिक सुरक्षा: क्या करें, क्या न करें
19. संबंधित पुस्तकें
20. दुनिया में आंतरिक सुरक्षा
21. देश में आंतरिक सुरक्षा
22. मध्यपदेश में आंतरिक सुरक्षा
अन्य विषय जो आपको समीचीन, संदर्भित और उपयोगी लगते हों। विश्व संवाद केन्द्र इस सहयोग के लिए आपके प्रति ऋणी होगा। आपके सहयोग और मार्गदर्शन की प्रतीक्षा में।
सादर,
भवदीय

अनिल सौमित्र
संपादक