शनिवार, 23 जनवरी 2010

यह के लिए शुभ भी है और लाभकारी भी

कांग्रेस के महासचिव और राजीव-सोनिया पुत्र राहुल गांधी के मध्यपदेश आगमन और यहां के कुछेक विश्वविद्यालय परिसरों में उनके कार्यक्रमों से बवाल मचा है। यह विवाद भाजपा या अन्य के लिए अनपेक्षित हो सकता है, लेकिन राहुल गांधी के योजनाकारों के लिए यह अपेक्षित और उनकी योजना का परिणाम ही है। भाजपा के नेताओं और भाजपा सरकार के प्रतिनिधियों ने राहुल गांधी की यात्रा के बाद जो बयान, कायवाई या पहल की उसका सीधा या प्रकारान्तर से प्रचारात्मक लाभ राहुल गांधी को ही मिला।
यह पहली बार नहीं हुआ है कोई राजनीतिक व्यक्ति शैक्षणिक परिसर में गया हो। राहुल गांधी के पहले भी मंत्री, विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि और आकादमिक व्यक्ति का रूप धारण कर राजनैतिक लोग शिक्षा परिसरों में जाते रहे हैं। जाना भी चाहिए। अगर 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को मतदान का संवैधानिक अधिकार दिया गया है, काॅलेज और विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ के चुनाव हो रहे हैं, वहां विभिन्न स्तरों पद राजनीति शास्त्र का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है तो कोई कारण नहीं कि शैक्षणिक परिसरों को राजनेताओं से अछूत रखा जाए। काॅलेज-विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं का राजनीतिक प्रशिक्षण हो यह देश की राजनीति के लिए शुभ भी है और लाभकारी भी। राजनेताओं का विश्वविद्यालय परिसरों में जाना और विद्याथियों से संवाद करना उपयुक्त भी है और आवश्यक भी। हां! इस दृष्टि से इतना अवश्य होना चाहिए कि इस संवाद हेतु कोइ नीति और पद्धति भी विकसित हो। भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को भी योजनापूर्वक यह प्रयास करना चाहिए कि वे भी छात्र-छात्राओं के बीच अपना विचार, संगठन और नीति लेकर जाएं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने छात्र राजनीति के मामले में एक नजीर पेश की है। वहां से राजनीतिक प्रशिक्षण प्राप्त छात्रों ने देश की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।
राहुल गांधी के प्रकरण में भाजपा ने प्रतिक्रिया की है। इस प्रतिक्रिया से कांग्रेस और उनके नेताओं का प्रचार ही होगा। इस दिशा में भाजपा नेता, उनके युवा नेतृत्व अगर पिछलग्गू और प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बजाए छात्र और युवा राजनीति के लिए योजनाबद्ध नेतृत्व प्रदान करें तो यह देश और प्रदेश की राजनीति के हित में ही होगा।
मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा के बारे मे आपके पास कुछ जानकारी, कोइ विचार, कोइ आलेख या आंकडे हो तो मुझे भी बताइये. मेरी मदद होगी..
प्रति,


महोदय,
आप विश्व संवाद केन्द्र से परिचित ही हैं। आपको विदित ही है कि केन्द्र मीडिया के क्षेत्र में शोध, जागरुकता, जनसंपर्क और संचार संबंधी कार्यो में गत कई वर्षों से कार्यरत है। विश्व संवाद केन्द्र विभिन्न विषयों पर विशेषांक, स्मारिका, पुस्तिकाएं और पुस्तकों का प्रकाशन भी करता रहा है। आपको स्मरण कराते हुए प्रसन्नता होती है कि विश्व संवाद केन्द्र ने गत 10 वर्षों में संवाद मंथन, साप्ताहिक लेख सेवा के अतिरिक्त - स्वतंत्रता के इक्शवन वर्ष: क्या खोया, क्या पाया, कश्मीर: कबिलाई आक्रमण से करगिल तक, जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन, भाई परमानन्द व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व, उत्सव मेरे प्राण जैसे विशेषांक और पुस्तिकाओं का प्रकाशन किया है। अभी हाल में ही ‘‘तुष्टीकरण’’ विषय पद विशेषांक का प्रकाशन किया गया है। इसके लेख और अन्य सामग्रियों पर काफी चर्चा हुई।
विश्व संवाद केन्द्र द्वारा पूर्व की ही भांति अपने नए विशेषांक/स्मारिका के प्रकाशन की योजना बनी है। इस बार ‘‘मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा’’ विषय पद विशेषांक का प्रकाशन किया जा रहा है। हमारा प्रयास आपके सहयोग के बिना तो पूरा हो सकता है और न ही प्रभावी। कृपया हमारे इस प्रयास में आप भी मदद करने का कष्ट करें। निम्न विषयों से संबंधित आलेख, जानकारी के साथ आंकड़े और दस्तावेज/अभिलेख आपके पास उपलब्ध हों तो कृपया हमें उपलब्ध कराने का कष्ट करें-
1. आंतरिक सुरक्षा के मायने
2. मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा से संबंधित प्रमुख विषय/मुदृदे
3. प्रदेश के नागरिकों में आंतरिक सुरक्षा बोध
4. आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में व्यक्ति, समाज और सरकार की भूमिका
5. आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार की पहल
6. प्रदेश के लिए आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से प्रमुख खतरे
7. आंतरिक सुरक्षा: मध्यप्रदेश की चुनौतियां
8. मध्यप्रदेश में आंतरिक सुरक्षा
9. घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सलवाद, मतान्मरण और आंतरिक सुरक्षा
10. मध्य्रपेदश का सांस्कृतिक ताना-बाना और आंतरिक सुरक्षा
11. अल्पसंख्यक दृष्टि से मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा
12. चर्च, मदरसे, मिशनरियों और पादरियों की सक्रियता और आंतरिक सुरक्षा
13. आंतरिक सुरक्षा: केन्द्र और प्रदेश
14. आंतरिक सुरक्षा: रीति-नीति, कानून और क्रियान्वयन
15. आंतरिक सुरक्षा में नागरिक संगठनों की भूमिका
16. मध्यप्रदेश में विभिन्न आंदोलन और आंतरिक सुरक्षा
17. देश की सुरक्षा और मध्यप्रदेश की आंतरिक सुरक्षा
18. आंतरिक सुरक्षा: क्या करें, क्या न करें
19. संबंधित पुस्तकें
20. दुनिया में आंतरिक सुरक्षा
21. देश में आंतरिक सुरक्षा
22. मध्यपदेश में आंतरिक सुरक्षा
अन्य विषय जो आपको समीचीन, संदर्भित और उपयोगी लगते हों। विश्व संवाद केन्द्र इस सहयोग के लिए आपके प्रति ऋणी होगा। आपके सहयोग और मार्गदर्शन की प्रतीक्षा में।
सादर,
भवदीय

अनिल सौमित्र
संपादक

गुरुवार, 21 जनवरी 2010

प्रो. बी.के. कुठियाला बने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति




bk प्रो. बी.के. कुठियाला बने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपतिभोपाल। प्रो. बी. के. कुठियाला माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के नए कुलपति बने हैं। वे विश्वविद्यालय के सातवें कुलपति हैं। इसके पूर्व श्री अच्युतानन्द मिश्र और संस्थापक कुलपति डॉ. राधेश्याम शर्मा ऐसे कुलपति रहे जो अकादमिक पृष्ठभूमि के हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. शर्मा के बाद और श्री मिश्र के पूर्व जिन चार लोगों ने कुलपति का दायित्व निर्वहन किया वे प्रशासनिक पृष्ठभूमि के थे। इनमें डॉ. भागीरथ प्रसाद, श्री शरदचन्द्र बेहार और श्री सुमित बोस तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे, जबकि श्री अरविन्द चतुर्वेदी राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे। श्री चतुर्वेदी जनसंपर्क विभाग में अपर संचालक के पद पर थे।

प्रो. ब्रजकिशोर कुठियाला कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष रहे हैं। वे भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के निदेशक भी रह चुके हैं। विश्वविद्याल अनुदान आयोग से संबध्द रहे श्री कुठियाला मीडिया, जनसंचार, शोध और शिक्षण कार्यों से जुड़े रहे हैं। मानवशास्त्र और समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त प्रो. कुठियाला अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वे श्री अच्युतानन्द मिश्र के उतराधिकारी के रूप में विश्वविद्यालय की अकादमिक परंपरा का निर्वहन करेंगे। कार्यभार ग्रहण करते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि वे विश्वविद्यालय की अकादमिक परंपरा का निर्वहन करते हुए कोशिश करेंगे कि वर्तमान संदर्भ में मीडिया की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंचार के क्षेत्र में कार्य करने वाले मूल्यनिष्ठ और राष्ट्रनिष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण हो।

सोमवार, 11 जनवरी 2010

आने वाले दिनों में कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रम आप भी प्रतिभागी हो सकते हैं, हिस्सेदारी कर सकते हैं

1. 14 जनवरी, 2010 9ः30 बजे से पानी, पर्यावरण और पत्रकारिता पद माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला । यह कार्यक्रम हिन्दी वाटर पोर्टल के संयुक्त प्रयासों से हो रहा है।
2. 15, 16 और 17 जनवरी, 2010 को गढ़ी, टिमरनी में भाउ साहब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन। इस आयोजन में 15 जनवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विश्व विभाग के सह-संयोजक श्री रवि कुमार अय्यर, ‘‘भारत महाशक्ति एवं विश्वगुरु बनने की ओर’’ विषय पद व्याख्यान देंगे। 16 और 17 जनवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निवर्तमान सरसंघचालक श्री कृप्.सी. सुदर्शन का व्याख्यान होगा। श्री सुदर्शन ‘‘पाश्चात्य चिन्तन और विकास पथ’’ और ‘‘हिन्दू चिन्तन और विकास पथ’’ विषय पद व्याख्यान देंगे।
3. 28 फरवरी, 2010 को भोपाल में विशाल हिन्दू संगम का आयोजन किया गया है। इस हिन्दू संगम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहनराव भागवत संबोधित करेंगे। संघ के कार्यकर्ताओं ने एक लाख परिवारों को पंजीयन कर उन्हें इस संगम में भागीदार बनाने का लक्ष्य रखा है।
4. 9 और 10 मार्च, 2010 को हरिद्वार में ‘‘राष्ट्र रक्षा सम्मेलन’’ का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में देशभर के सुरक्षा विशेषज्ञों, सुरक्षा विषय पद शोध, अन्वेषण, दस्तावेजीकरण और लेखन करने वालों का आमंत्रित किया जा रहा है। सेना, अर्द्धसेनिक बल, और पुलिस के सेवानिवृत्त अधिकारी भी इसमें बड़ी संख्या में भाग लेने वाले हैं।

शुक्रवार, 8 जनवरी 2010

विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा अपने अंतिम चरण में गोविन्दाचार्य ने हरदा, खंडवा और बुरहानपुर में यात्रा को संबोधित किया


यात्रा से अनिल सौमित्र
भोपाल। विश्व मंगल गौ-ग्राम यात्रा अब अब अंतिक चरण में है। पिछले साल विजयादशमी के दिन कुरूक्षेत्र से शुरू हुई यह यात्रा 17 जनवरी, 2010 को नागपुर में पूरी होगी। इस दौरान यह यात्रा 20 हजार किमी की देरी तय करेगी। 108 दिनों की इस यात्रा में 400 से अधिक धर्मसभाएं आयोजित होंगी। गौ को राष्ट्रीय प्राणी घोषित कराने के लिए करोड़ों हस्ताक्षर कराए जायेंगे। पूरे देशभर में जिला, तहसील और विकास खंडों में 15000 उप-यात्राएं के माध्यम से 10 लाख किमी की दूरी तय की जायेगी। इस बीच करोड़ों लोगों से संपर्क किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि यात्रा अपने प्रथम चरण में 14 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के ग्वालियर से होकर निकली। इसी दिन मध्यभारत प्रांत में यात्रा का शुभारंभ भी हुआ। अब जबकि यात्रा अपने अंतिम दौर में है पुनः 02 जनवरी, 2010 को रतलाम में आई। 09 जनवरी को यह यात्रा जबलपुर से होकर छत्तीसगढ़ की सीमा में पहुचेगी। 10 जनवरी को कवर्धा में यात्रा का स्वागत होगा।
भोपाल में यह यात्रा 6 जनवरी को आई। इसके पूर्व 5 जनवरी को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के उप-नगर बैरसिया और बैरागढ़ में भी यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। भोपाल की सभा को गोकर्णपीठ श्रीरामचन्द्रपुर मठ के शंकराचार्य पूज्य श्री राघवेश्वर भारती महास्वामी जी और प्रख्यात चिन्तक श्री गोविन्दाचार्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवा प्रमुख सीताराम जी के अलावा अनेक संतों और बुद्धिजीवियों ने संबोधित किया।
भोपाल की सभा को संबोधित करते हुए पूज्य शंकराचार्य जी ने कहा कि गो-माता विश्व पावनी, जननी और पोषिणी हैं। लेकिन यह दुःख का विषय है कि गो-माता की रक्षा के लिए यात्रा निकालने की नौबत आ गई है। आज का समय ऐसा आ गया है कि हम गोपाल बनने में सम्मान नहीं बल्कि अपमान महसूस करते हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि इस यात्रा के कारण लोगों में जागरुका आ रही है। गो रक्षा और इसके संवर्द्धन के लिए संगठन भी खड़ा हो रहा है। शंकराचार्य जी विश्व मंगल गौ-ग्राम यात्रा के उद्देश्यों पद प्रकाश डालते हुए कहा कि यह यात्रा व्यक्ति और समाज में परिवर्तन के लिए है। इसके माध्यम से कुछ ऐसा करना है ताकि देश की आने वाली पीढ़ियां खुशहाल रह सकें। हम इसके माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। आज गौ माता की ऐसी दुर्दशा है इसीलिए यह यात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने बताया कि गाय की उपेक्षा का एक बढ़ा कारण यह है कि हमें गाय का महत्व और उसका उपयोग ठीक से मालूम नहीं है। हमें गाय के बारे में आर्थिक और भावनात्मक दोनों पक्षों का उजागर करना है। गौ पालन के लिए भाव और इच्छा जागरण के साथ ही वातावरण निर्माण का कार्य भी करना आवश्यक है। इसके लिए हम सभी की सेवा चाहिए। श्री शंकराचार्य जी ने बताया कि यात्रा के बाद गौ-संरक्षण व संवर्द्धन के लिए विस्तृ त कार्य-योजना तैयार की जायेगी। स्थान-स्थान पद प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने की भी आवश्यकता है।
प्रख्यात चिंतक गोविन्दाचार्य ने स्वदेशी अर्थचिंतक श्री गोविंदाचार्य ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि गौ माता जगत जननी है, प्रत्येक भारतीय को इसकी रक्षा का संकल्प करना चाहिए। गाय की सेवा अर्थात 35 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा करना। अपनी पूरी जिंदगी और मरने के बाद भी गो-माता मनुष्य और प्रकृति के लिए उपयोगी है। भारत की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि भारत दुनिया का अनमोल देश है। अपने वैशिष्ट के कारण ही इसे देवभूमि और पुण्यभूमि का विशेषण मिला। चीन में एक कहावत सर्वत्र प्रचलित है कि इस जन्म में अच्छा काम करोगे तो अगला जन्म भारत में मिलेगा। भारत में 29 हजार किस्म की वनस्पति और 85 हजार से अधिक पशु-पक्षियों की नस्लें हैं। भारत में सूर्य देवता का प्रताप भी अद्वितीय है। दुनिया के अन्य देशों में भारत की तरह सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है। इसका हमारे जीवन पद काफी प्रभाव है। सूर्य के इसी प्रभाव के कारण यहां की गायों को भी विशेष गुण प्राप्त हुआ है। भारतीय गायों के दुध और घी में जो पीलापन है वह सूर्यतत्व है। यह सूर्य तत्व अन्य किसी प्रणी के दूध या किसी अन्य देश की गाय को प्राप्त नहीं है। क्योंकि भारतीय नस्ल की गायों में ही सूर्य तत्व को ग्रहण करने की क्षमता है।
श्री गोविंदाचार्य ने अंगेजी हुकूमत और स्वतंत्रता के बाद काले अंग्रेजों की हुकूमत पर गोवंश की कमी का ठीकरा फोड़ा। उन्होंने कहा कि सन 1800 में एक भारतीय पद 6 मवेशी होते थे, जबकि आजादी के वक्त दो भारतीय पर एक मवेशी ही बच पाया। आज हालात यह है कि 100 करोड़ की जनसंख्या पद मात्र 25 करोड़ गौवंश ही बचा है। यह इसलिए हुआ कि अंग्रेजों के जाने के बाद भी उन्हीं की नीतियों को जारी रखा गया। चूंकि अंग्रेजों का मुख्य भोजन गो-मांस था इसलिए उन्होंने ऐसी नीतियां बनाई कि अधिकाधिक गो-वंश का उनके भोजन के लिए मारा जा सके। जबकि भारत में गा-वंश का उपयोग हमेशा से गो-दुग्ध, अन्य गो-उत्पाद और खेती तथा परिवहन आदि कार्यों के लिए होता था। उल्लेखनीय है कि 1857 से 1947 के बीच लगभग 40 करोड़ गो-वंश का वध किया गया। यह आज भी जारी है। देश के लाखों बूचड़खाने इसकी मिसाल हैं। भारत से गो-मांस का निर्यात आज भी निर्बाध गति से जारी है।
श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि गाय का गोबर, मूत्र, और दुग्ध गुणकारी है। हम इसके बारे में जानते हुए भी लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कृषि में मशीनीकरण के कारण गो-वंश का उपयोग निरंतर कम होता जा रहा है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें गो विरोधी स्थितियां, भावना और नीतियों को दूर करना है। भारतीय नौकरशाही और काले अंग्रेजों ने पिछले 50 वर्षों में गाय के लिए घातक नीतियां बनाई। उन्होंने कहा कि गोशाला और वृद्धाश्रम स्वस्थ्य समाज की निशानी नहीं है। वृद्धों का स्थान घरों में और गो-माता का स्थान किसान के खूंटे पर ही होना चाहिए। उन्होंने इस बात पद जोर दिया कि प्रत्येक विकासखंड पर नंदीशाला और पशु चिकित्सालय होना चाहिए। बेहतर चारे के लिए प्रत्येक जिले में गो-अनुसंधान केन्द्र विकसित होना चाहिए। सरकार को कृषि, सिंचाई, परिवहन और उर्जा नीति गाय के अनुकूल बनाना चाहिए। परिवहन के लिए भी मानव श्रम, पशु परिवहन और बस और रेल का अनुपात तय किया जाना चाहिए।
श्री गोविंदाचार्य ने जोर देकर कहा कि जैसी दृष्टि होगी वैसी ही सृष्टि होगी। हमारा नजरिया बदलेगा तभी नजारा बदलेगा। गौ और गंगा माता की रक्षा करने से ही राष्ट्रीय पुनर्निर्माण होगा। गौ माता का मुद्दा सांप्रदायिक नहीं राष्ट्रीय है। उन्होंने दावा किया कि जिस दिन गौ-वंश की संख्या इंसान से अधिक हो जायेगी उस दिन भारत पुनः विश्वगुरु बन जायेगा। इसके पूर्व श्री गोविन्दाचार्य ने हरदा, खंडवा और बुरहानपुर में भी यात्रा-सभा को संबोधित किया।
मध्यभात में आयोजित अनेक उप-यात्राओं का इसी सप्ताह समापन हुआ। 22 से 29 नवम्बर, 09 तक लाखों हस्ताक्षर कराए गए। ग्राम स्तर पद 5 से 15 दिसंबर तक और 15 से 25 दिसंबर तक उप यात्राओं का आयोजन हुआ था। उप यात्राओं के समापन पर गौ-भक्तों और विद्वानों ने सभा को संबोधित किया। भोपाल सहित सभी सभाओं में हजारों की संख्या में उपस्थित ग्रामीणों और नागरिकों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने गाय की महिमा, गोवंश को खत्म करने के देशी-विदेशी षड्यंत्रों, सरकारी उपेक्षा, नागरिक लापरवाही और सज्जन शक्ति की उदासीनता पर प्रकाश डाला।

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

Launcing of Website of HSS and Sri Gurudakshina
Celebrated at Triolet, Mehashwarnath Mandir, Mauritius
( Dated : 27-Dec-2009)

Website was Launched by Swami Poornanand Ji, Organized by HSS Mauritius. The function was presided over by Sri Raghunath Deealji, Sanghchalak Mauritius and the chief speaker was Sri Prabhu Narain Srivastava(Prabhuji), Sah Prant Sangh Chalak, Avadh Prant, U.P., Rtd Chief Engineer and All Inda Organizing Secretary of Mahamana Malaviya Mission, India.

The website was launched in the presence of nearly hundred citizens of Mauritius. On this occasion Prabhuji highlighted the three Global problems .i.e. Global Terrorism, Global Recession and Global Warming. The entire world is engaged in resolving these subtle challenges mankind is ever facing. Hindu Dharam, since time immemorial has advocated life vision which addresses these problems in its entirety. It is because of this that the Hinduism has survived since thousands of centuries. The inclusiveness of Hinduism has the remedy of all these global problems. The mother earth should be milked not bled to satisfy the unending material desires of the mankind, which has resulted into global warming and global recession. The global terrorism is also the outcome of the life vision of exclusivist, who propagates their religion through violence. Shreemad Bhagwad Geeta and other Hindu Scriptures have been awakening the ill effects of Global Terrorism, Recession and Warming since beginning. It is a matter of satisfaction that mankind has at least started to recognize the efficacy of Hindu philosophy to bring about world piece and sustainable eco-friendly development, the testimony to which is the recitation of Vedic Richas in the Parliament of USA. It is a matter of pride that Mauritius has shown the path of cultural expansion for peace and brotherhood by Harmonizing French, English, Hindi, Bhojpuri and Creol languages. Besides this the foundation of Trayodash Maurisheshwar Nath Jyotirling, Gangal Talao( Grand Bassin) Mauritius is a step forward to expand its cultural identity across the world. Prabhuji requested all the Hindu saints of India to give the recognition to this Trayodash Maurisheshwar Nath Jyotirling.

After the speech of Prabhuji Swami Poornanand Blessed the HSS for expanding its work in Mauritius. The sanghchalak of Mauritius Sri Raghunath Deealji elaborated the importance of Gurupooja and Bhagwa Dhwaj. All the swayamsevaks offered their oblations and the program was concluded by prarthana.

By- Pragya Srivastava